दो अक्टूबर
हम तीनों भाई बहिन बेसब्री से पिताजी की प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि तीन महीने बाद वे अपनी शिक्षा
विभाग की कोई ट्रेनिंग पूरी करके वापिस आ रहे थे। यह पहली बार हुआ था कि वे दो तीन दिन से
अधिक हम से दूर रहे।
पिताजी के आते ही हम अभिवादन कर उनसे गले मिले और हमेशा की तरह अपने उपहार की मांग करने
लगे। उन्होंने तीनों को प्यार से बिठाया और कहा आज तुम तीनों के लिऐ यह एक तोहफ़ा है और हां
संभाल कर खोलना कुछ टूट न जाए।
बड़े भैया उपहार खोलने लगे और सबने देखा कि उसमें तो छोटे छोटे छः खिलौने हैं। पहला खिलौना देखते
ही छोटा बोला यह तो चाचा नेहरू हैं , इनके जन्म दिवस को बाल दिवस मनाते हैं हम कम्पनी बाग में
कार्यक्रम देखने जाते हैं।
पिताजी ने पूछा ,आज किसका जन्म दिन है? मैं ने जल्दी से गांधीजी की मूर्ति उठा कर कहा था,
गांधीजी का इसीलिए हमारी आज छुट्टी है। पिताजी ने कहा, ठीक है लेकिन और किसका जन्म दिन
है आज? तभी भैया ने पूछा ये शास्त्री जी हैं न, इनका भी आज ही जन्म दिवस है लेकिन हमें छुट्टी
गांधी जयंती की ही बताई गई?
तभी माताजी भी देखने लगीं और बोलीं कितनी सुन्दर मूर्तियां बनाई हैं कलाकार ने सब की वेश भूषा,
कद काठी और चेहरे के हाव भाव बिलकुल जीवंत कर दिए हैं। ये देखो बच्चो सुभाष चंद्र बोस,
भगत सिंह और चंद्र शेखर आज़द तीनों महान स्वतंत्रता सेनानी थे। और वे पिताजी के साथ मिलकरहमें
उनकी शौर्य गाथाएं सुनाने लगीं।जो उस समय हमें कुछ ही समझ आया क्यों कि मेरे दिमाग की सुई तो
जन्म दिन पर ही अटकी थी। तभी छोटे ने प्रश्न किया,इन्हों ने हमारे देश को आज़दी दिलाई थी तो हम
उनके जन्म दिवस क्यों नहीं मनाते?
तभी पिताजी ने कहा, चलो सरकार को बोलेंगे इनके जन्म दिवस भी मनाए जाने चाहिए और तुम बच्चों
को छुट्टी भी मिले, खुशअब। माता पिता से स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिदिन एक कहानी सुन कर हम
तीनों भाई बहिन बहुत खुश होते थे, बड़े भैया ने तो इनको देख कर पेंटिंग्स भी बनाई थीं।
देश प्रेम की भावना स्वत ही हम सब में बढ़ती जा रही थी। माताजी सिखाती थीं गांधी जी की तरह हमेशा
सच बोलना वे बचपन में भी हमेशा सच का ही साथ देते थे और मारपीट और लड़ाई झगड़े से दूर। लाल
बहादुर शास्त्री जी तो प्रधानमंत्री होते हुए भी देश की भलाई के लिए एकदम सादा रहते थे। उन्होंने ही नारा
दिया था जय जवान जय किसान । हम तीनों बोले, मतलब? मतलब देश में किसान ठीक है तो देश के
लोग कभी भूखे नहीं रहेंगे क्योंकि वे अनाज सब्जी ओर फल हमारे खाने के लिए उगाते हैं और जवान हमारे
देश की रक्षा कर के हमें दुश्मन से बचाते हैं।
पिताजी बोले, बच्चो गांधी जी की तरह हमेशा सच और अहिंसा का साथ देना और माताजी बोलीं, लाल
बहादुर शास्त्रीजी की तरह सादा जीवन और उच्च विचार रखना। इसी से हम जीवन में सफलता और प्रसन्नता
प्राप्त कर सकते हैं।