आभासी
भौतिक प्रयोगशाला में जब हम प्रयोग करते थे,
पिन के लेंस से आभासी प्रतिबिंब भी बनते थे।
हालांकि कुछ से वास्तविक भी बना करते थे,
हम याद करते थे किस दशा में कैसे बनते थे॥
आज भी हम वर्चुअल मीटिंग ज्वाइन करते हैं,
सच बताएं हरेक में बहुत कुछ सीखा करते हैं।
घर पर जब भी बच्चों के विडियो कॉल आते हैं।
उन्हें देखकर बात कर हम आनंदित हो जाते हैं।
प्रतीत होता है दुनिया में प्रगति बहुत हो रही है।
एक मुठ्ठी में नहीं अंँगुली पर दुनिया नाच रही है।
मोबाइल से सब सरलता से उपलब्ध हो रही है।
किन्तु प्यार से गले मिलने की कमी खल रही है॥
कर लिया हमने मोबाइल से जग मुठ्ठी में अपने,
पर क्या सचमुच हो गये हैं पूरे हमारे सब सपने?
प्रकृति सौंदर्य, पत्र-पुस्तक की सुगंध ली किसने,
बालमन अबोधता व समय नहीं डस लिया इसने?