अधिक मास
अधिक मास में हो रहे, व्रत नहीं जाय छूट।
भक्ति शिव की हो रही, राम नाम की लूट॥
राम नाम की लूट,जगत में लूटो सारे।
राम गए जो छूट, दिवस में दिखते तारे॥
राम राम हम करें, यही अभिवादन प्यारा।
भूल नहीं हम सकें, धर्म सनातन हमारा॥
मातु कृपा से हो रहे, सर्व सदा ही काम।
कृपा वृष्टि ऐसी रहे, पूज रहे निष्काम॥
पूज रहे निष्काम, भक्ति की पराकाष्ठा।
दूर पाप अरु काम, जगी श्रद्धा अरु निष्ठा॥
क्रोध बचा न क्लेश, आलस्य भी भागा।
न दुख वेदना शेष, प्रेम अनुराग है जागा।