अपने लिये
कभी-कभी छुप-छुप कर अपने लिए भी जी लिया करो।
कोई नहीं पूछेगा तुमसे कि थोड़ा आराम कर लिया करो॥
प्रातः उठकर बाबूजी की चाय, मांँजी का नाश्ता बना।
स्वयं भी पी लो फिर पति और बच्चों के डिब्बे भरो॥
कोई नहीं ……
सब को तैयार करा, टिफिन देकर भेजकर चैन लो।
तब किचिन की चिंता छोड़ अखबार भी पढ़ा करो॥
कोई नहीं…..
दोपहर को बाई से काम करा के किचिन समेट लेतीं।
सलाद काट रोटी बना अपनी थाली भी सजाया करो।
कोई नहीं…..
लंच के बाद ही शाम का नाश्ता और डिनर की सोचतीं।
पर कभी कोई नॉवल पढ़ो या पसंदीदा मूवी देखा करो।
कोई नहीं…..
सास-ससुर पति व बच्चों की पसंद का रखतीं ध्यान।
भूले से कभी अपनी भी फेवरेट डिश बना लिया करो।
कोई नहीं…….
त्योहारों पर ननद देवर सब रिश्तेदारों को देतीं तोहफ़े।
कभी स्वयं के लिए भी कोई तोहफ़ा खरीद लिया करो।
कोई नहीं……
पति के टूर तथा बच्चों की पिकनिक की तैयारी करतीं।
सखियों के साथ कभी अपनी ट्रिप भी प्लान किया करो॥
कोई नहीं पूछेगा तुमसे कि थोड़ा आराम कर लिया करो।
कभी कभी छुप छुप कर अपने लिये भी जी लिया करो॥