अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आज,
एक दूसरे को देते हम शुभ कामनाएँ।
मन होता है दुःखी कब तक चलेगा ये,
देना-लेना बधाईयाँ और शुभ कामनाएँ।
बालक दिवस तो हम नहीं है मनाते,
फ़िर बालिका दिवस क्यों हैं मनाते?
कब हम मिटा पाएंगे यह बड़ा अन्तर,
और सिर्फ़ बाल दिवस ही रहेंगे मनाते।
हम तो नहीं करते लिंग भेद बच्चों में,
बेटी और बेटे को देखते हैं एक जैसा।
देते हैं समान भोजन, प्यार एवं शिक्षा,
मिले उन्हें समान अधिकार और पैसा।
चाह है यही कि हर घर में ऐसा ही हो,
क्योंकि माँ तो रखती प्रेम से दुलारकर।
बेटा हो या बेटी गर्भ में नौ माह सर्वदा,
सहती है एक सी प्रसव पीड़ा हँस कर।
जिस दिन भारतीय बाला न होगी हीन,
बेटे के समान ही यहाँ अधिकार पायेगी।
गाँव हो या शहर सुरक्षित होगी हर जगह,
सच उस दिन भारतमाता खुश हो जायेगी।
शकुंतला देवी, कल्पना चावला और कहीं,
कमला हैरिस जी जैसी प्रसिद्ध हो जायेगी।
तब भारत क्या दुनिया में कहीं पर भी नहीं,
यह दिवस मनाने की जरूरत रह जायेगी।।