बरसात
आषाढ़ श्रावण की यह बात,
हो रही झमाझम बरसात।
आकाश में आल्हादित मेघ,
बहुत ही बरसा रहे हैं नेह।
चहुँ ओर धरती हुई हरित,
हर शाख झूमे हो पल्लवित।
पक्षियों ने भी बनाये घरौंदे,
अंडों को उनके न कोई रोंदे।
लाकर तिनका तिनका थोड़ा,
बड़े जतन से उनको जोड़ा।
एक घर में बच्चों को देखे,
दूजा जाये दाना पानी लेने।
चोंच में चोंच डालकर खिलाये,
बच्चों को सब कुछ सिखाये।
उड़ना जो दूर तक सीख लिया,
फिर उनका नया घर बना लिया।
खाली पड़े रहते हैं सभी यहाँ,
घर और घरोंदे अक्सर यहाँ।