बसंत ऋतु
ऋतु बसंती आई है ये, महकी यूं क्यारी क्यारी है।
पीपल नीम प्रफुल्लित होते, आई वसंती बयारी है॥
पत्तों के झुरमुट में दिखता, आमों पर है बौर आ गया।
सरसों फूल रही खेतों में, गैहू की बाली भारी है॥
फूल खिले हैं रंग बिरंगे, फुलवारी है ये लहराती।
टेसू के भी फूल खिले हैं, होली आने की बारी है।
प्रियतम छेड़ रहा गोरी को, शरमाई है हंँसकर वो भी।
प्यारी प्रेम प्रीत की बातें, सुन कर बाला दिल हारी है॥
आओ मिल कर नाचें गाएं, अब तो जागी हैं आशाएं।
अवसादों के गये दिवस हैं, आई खुशियों की बारी है।।