भूत
जो बीत गया वो सपना था?
नहीं वह तो मेरा अपना था।
सबका पाया था प्यार अपार,
माँ बाप का वह लाड़ -दुलार।
नानी की प्यारी कहानियाँ,
बाबा की प्यार भरी झिड़कियाँ।
लगता सचमुच अब सपना सा,
कितना प्यारा वो बचपन था।।
बचपन में जब कुछ बड़े हुए,
प्यारे दोस्तों का साथ मिला।
शिक्षकों से भी भरपूर हमें,
प्रोत्साहन व आशीष मिला।
लगता सचमुच अब सपना सा,
कितना प्यारा वो सबकुछ था।।
फिर विवाह हुआ, बच्चे हुए,
आगे हम परिवार के साथ बढ़े।
बचपन के संस्कार काम आए,
जिनके बल पर हम खूब बढ़े।
जो बीत गया वो भूत हुआ,
उस नींव पर ही है यह मकां खड़े।\
कितने ही दशक यूँ बीत गये,
लेकिन बचपन की नींव वही।
कहते हैं आज भूतकाल जिसे,
अपने नयनों में जीवित है सही।
कल्पना वर्तमान व भविष्य की,
भूत के बिना कर सकते हैं नहीं।
विज्ञान और तकनीकी में भी,
होते हैं जो भी अनुसंधान यहाँ।
आधारित हैं वे भी सारे ही उन
भूतकाल के अध्ययन पर यहाँ।
शनैः-शनैः हर क्षेत्र में हुई प्रगति,
न होते पूर्व साक्ष्य,यह होपाती कहाँ?
जो बीत गया वो सपना था,
लगता है अब भी अपना था।