चेहरा दिल का दर्पण
दिल का दर्पण, दिखता है चेहरा।
मन के भाव दर्शाता है यह चेहरा।
चेहरा बच्चे का, माँ को लगता है लाल गुलाब।
आशिक को लगता है, यह चौदहवीं का चाँद।।
शायर को नज़र आता है, यह चेहरा आफताब।
प्रेमिका को तो लगता है, यह पूरी एक किताब।।
चेहरे पर नज़र आतीं, प्यारी प्यारी दो अंखियाँ।
कह जातीं साजन से, जो सब अनकही बतियाँ।।
चेहरे पर पंखुरी से प्यारे, दो लबों का क्या कहना।
काम है मुस्कराहट से ही,आशिक घायल कर देना।।
चेहरा ही है जो सीधे,दिल की गहराई में उतरता है।
दिल के गमो-खुशी सभी, यह बयान कर जाता है।।
बड़ा मुश्किल होता है,चेहरे से भावों को छिपा लेना।
पर सरल है दिल के हालात का अंदाजा लगा लेना।।
दशानन कहलाता था रावण, थे उसके भी दस चेहरे।
उसके भी नव रस भावों को, दर्शाते थे वे सब चेहरे।।
देवताओं में ब्रह्मा जी थे चतुर्मुखी, कहलाते चतुरानन।
हनुमानजी व शिव जी भी,कहलाते थे पूज्य पंचानन।।
किसी राक्षस के चेहरे को देख, बच्चा होता भयभीत।
वहीं देवी के चेहरे को देखते ही,हो जाता नतमस्तक।।
बच्चा भी समझ जाता है, देख चेहरे को सब ज़ज्बात।
माँ जो आँखें दिखाए तो,समझ जाता है अनकही बात।।
बच्चों को देख कर ही, माँ का खिल जाता है चेहरा।
प्रेमी को देखते ही, कुछ-कुछ शरमा जाता है चेहरा।।
गुस्सा जो आ जाए कभी, तो तमतमा जाता है चेहरा।
प्यार जो बहुत आए किसी पर,तो मुस्कराता है चेहरा।।
पहले तो जीवन-साथी भी,चेहरा देख कर ही चुनते थे।
परिवार वाले और रिश्तेदार ही,तब बोलते बतियाते थे।।
कितने पक्के अटूट संबंध एवं संबंधी, इस तरह बनते थे।
सिर्फ पतिपत्नी ही नहीं,विवाह में दो परिवार भी मिलते थे।
पर अफ़सोस आज के परिवेश में, कुछ ऐसे भी हैं लोग।
बदल लेते हैं,परिस्थितियों के अनुसार चेहरे वे हर रोज़।।
किन्तु फिर भी दुनिया चलती है,आज भी सुख-आनंद में।
क्यों कि हैं तो,पर ऐसे लोग कम ही है।।
कैसा भी हो, पर बच्चों को प्यारा लगता है माँ का चेहरा।
और माँ को भी, सबसे सुंदर लगता है बच्चे का ही चेहरा।।
सच कहा जाता है, दिल का दर्पण ही होता है यह चेहरा ।
सच मुच दिल और मन के भावों को दर्शाता है यह चेहरा।।