आज का दौर
हँसने की कोई बात नहीं, दिल करता है क्रंदन|
फिर भी धैर्य धर, शीश झुका करते हैं वंदन|
हे प्रभु क्या है भूल हुई हमसे, जो पूरी दुनिया रोती|
नहीं छोड़ा कोई नगर देश, जहाँ न इससे मृत्यु होती|
दिन रात लगे हैं वे सेवा में, जब सारी दुनिया सोती|
ऐसे नर्स,डॉक्टर,वैज्ञानिकों का,करते हम अभिनंदन|
हम सब धैर्य धर शीश झुका करते हैं वंदन||
नहीं छूटा कोई देश वर्ग जाति, इस महामारी से|
सबको ही भयभीत किया, इसने तन मन धन से।
अपनों से नहीं मिल सकते, दूर किया रिश्तों से।।
केवल एक ही विकल्प है, करें एकांत वास व चिंतन।
हंसने की कोई बात नहीं है दिल कर ता है क्रंदन।।
कोई करता योगाभ्यास, कोई पढ़ता कोई पुस्तक|
क्या करें, न करें, घर में रहने का आदी नहीं मस्तक|
नृत्य करें, गायन करें, या दिलों पर दें हम दस्तक|
यही है समय जब हम निर्विघ्न करें आत्म चिंतन||
हंसने की कोई बात नहीं है दिल कर ता है क्रंदन ||
हम अब तक जो करते थे, क्या वह अति आवश्यक था|
जो संस्कार आचार विचार,अपने 0पुरखों से हमें मिला था |
क्यों नहीं चले उस पर हम, क्यों किया वाद विवाद था|
जबकि भारतीय संस्कृति को करता विश्व नमन||
हंसने की कोई बात नहीं है दिल कर ता है क्रंदन..
कोई तो उपचार मिलेगा और बीत जाएगा ये बुरा समय|
विश्व होगा कोरोना मुक्त और न होगी मृत्यु असमय|
आपस में होगा भाईचारा, फिर जीवन होगा सुखमय|
चिंता मुक्त होंगे सब, जब मिल जाएगा वैक्सीन||
हंसी-खुशी की बातें होंगी, दिल न करेगा क्रंदन ||
दुनिया में सब शीश झुका के करेंगे सब प्रभु वंदन ||