दिवाली 2020
दिवाली आई, दिवाली आई।
आकर, कह के बाइ यह जाती।
बिखरे पड़े हैं अधजले पटाखे,
और बिन तेल पड़े के दिया-बाती।
इस वर्ष दिवाली पर कितने ही,
दिल हैं बिन चमक के दिया-बाती।
कोरोना ने कितने घर उजाड़े हैं,
कितने अपनों की याद है सताती।
कितना मुश्किल है समेटना सब,
अवशेष पटाखे और ये दिया-बाती।
यह साल बड़ा दुखदायी आया,
दुखों की अब तो ये झड़ी जाती।
आओ जोड़ें टूटे मायूस दिलों को,
फ़िर से घरों में चमकें दिया-बाती।।
हर दिल में जगे प्यार, उत्साह, उमंग,
नव वर्ष आए अब खुशियां बिखराती।