दौड़
हरेक मन में कुछ न कुछ पीर है.
दिल में दर्द और आँखों में नीर है।
यह भी क्या मंजर है दुनिया का,
हर शख्स देखो तो एक फकीर है।
कोई दिमाग से कोतल है यहाँ,
तो कोई हर एक फ़न में मुनीर है।
किसी के पास हैं गाड़ी बंगला,
फ़िर भी देने में वह फकीर है।
किसी को मयस्सर नहीं रोटी,
फिर भी दिल से वह अमीर है।
दौलत शौहरत सब कुछ पाया,
फिर भी और पाने को अधीर है।