फाल्गुन आया
फाल्गुन आया, फाल्गुन आया, आओ खेलें होली जी।
आपस के सब बैर भुलाकर, हिल मिल खेलें होली जी।।
लाल-गुलाबी, नीले-पीले, रंग हरे भी लेकर आये हैं जी।
जो मन भावे उसको लेकर, रंग दो प्यारी गोरी भोली जी।।
फाल्गुन आया……….
रंग बिरंगे दिखते बादल, जैसे रंगों की वर्षा आयी जी।
धरती भी हरियाली से नहीं,अब रंगों से रंगी होली जी।।
फाल्गुन आया……….
सेव, अनर्से, लड्डू,मठरी, रंगीन गुजिया बनायी जी।
दही-वड़े और सौंठ-पकौड़े खाकर कांजी पीली जी।।
फाल्गुन आया…….
दोस्तों के संग खेलें और जीजाजी के संग सालीजी।
देवर और नन्द नंदोई सब भाभी संग खेलें होली जी।।
फाल्गुन आया….
फाल्गुन आया, फाल्गुन आया, आओ खेलें होली जी।
आपस के सब बैर भुलाकर, हिल मिल खेलें होली जी।।