गांव या शहर
गये वे दिन जब लोग गाँव छोड़कर शहर आते थे।
खेत,कुँऐ,रहट,पनघट,पेड़ बगीचे सब छूट जाते थे॥
युवा नयनों में सहज ही शहर के सपने बस जाते थे।
घर-परिवार,माँ-बाप सबको रोता छोड़ चले जाते थे॥
माता पिता को वे सुंदर भविष्य के स्वप्न दिखलाते थे।
कुछ तो परिश्रम कर सपनों को सच में बदल पाते थे॥
किंतु कुछ दुर्भाग्यवश शहर की रंगीनियों में खो जाते थे।
माता पिता एकाकीपन और बुढ़ापे पर अश्रु बहाते थे॥
अब तो भारत के युवा सचमुच समझदार हो गये हैं।
शहर क्या विदेश जाकर भी देश की मिट्टी से जुड़े हैं॥
इंटरनेट द्वारा माँ बाप ही नहीं पूरे परिवार से जुड़े हैं।
धन और यश कमाकर वापस घर की ओर भी मुड़े हैं॥
देश के लिए गौरव की बात है कि कुछ गाँव ही चुने हैं।
गाँव में रहकर उन्होंने वैज्ञानिक बनने के सपने बुने हैं॥
किसान के घर जन्म लेकर नई तकनीकों को गुने हैं।
हमें गर्व है कि विदेशी भी उनकी तकनीक को चुनें हैं॥