गज़ल ए मोहब्बत
किसी की मदमस्त आँखों में शरारत जब होती है।
किसी की आँखों में मस्ती शरारत जब होती है।
किसी शायर के दिल में पैदा, एक गज़ल होती है।
दिल की बातें, दिल से, दिल में ही होने लगें जब,
समझ लेना,कि मोहब्बत की एक पहल होती है।।
लरजते लबों पर लगने लगें, ताले हया के कहीं.,
कि सच्चे आशिकों की यही तो चहल होती है।
किसी के दिल में कोई खंजर चुभने पाए भी न,
आशिक के अश्कों की, बरसात उसी पल होती है।
मयस्सर मय की दो बूँद,कभी जिसे होती न थीं
देखो कैसे, पूरी मधुशाला आज यह महल होती है।
अब और जलाई न जाए और बुझाई भी न जाए,
आग-ए-इश्क बराबर दोनों तरफ हर पल होती है।
इश्क परवान यूँ, जब चढ़ने लगे महफिल में,
समझ लेना, कि मोहब्बत मुकम्मल होती है।।
जज्बातों का बवंडर, अल्फाजों का ठहराव बने,
तभी तो खूबसूरत सी,प्यारी एक गज़ल होती है।।