गुरु
सुबह का भूला शाम को लौट आये,
तो वह कभी भूला नहीं कहलाता है।
अपनी गलती को जो स्वीकार्य करे,
तो वह गलत नहीं ठहराया जाता है।
अपनी गलती से जो सीख लेता है,
तो जहाँ में वह इन्सान कहलाता है।
दूसरों की गलतियों से जो सीख ले,
वही शख्स बुद्धिमान कहलाता है।
परन्तु परिश्रम परायों पर भी कर,
गलती रोक ले वही गुरु कहलाता है।
जो शिष्य गुरु को उचित सम्मान दे,
वह अवश्य ही जाना-माना जाता है।