हाल ए बरसात
यह वर्षा भी अनोखी है,
कहीं खुशी कहीं आँसू लाती है।
विरहन की आँखों में, मिलने की आशा लाती है।
प्रेमिका के दिल में, हसरत के दिये जलाती है।
यह वर्षा…
किसानों के मन में, अच्छी फसल की उम्मीद जगाती है।
पर बाढ़ बन कर कभी, यह घर, सामान सब कुछ बहा ले जाती है।
यह वर्षा…
किसी गाँव की टूटी झोपड़ी में, टपका बन कर डराती है।
अबला की साड़ी को, भिगोकर अन्दर तक झकझोर जाती है।
य़ह वर्षा..
तरुणी के तन-मन को, प्रफुल्लित कर शृंगार बढ़ाती है।
युगलों के दिल में, यौवन का उन्माद बढ़ाती है।
यह वर्षा…
पानी में तैराते किश्ती, बच्चों में भावी जीवन के सपनों संजोती है।
बुढ़ापे में भी यह, जीवन को आल्हादित कर जाती है।
यह वर्षा..
गर्जन मेघों का सुन, आकाश के क्रंदन को सुनाती है।
बिछुड़ गया हो साथी, तो यही वर्षा बहुत रुलाती है।
यह वर्षा..
जब धूप के साथ मिले, सप्तरंगी इन्द्र-धनुष बन जाती है।
जीवन में हैं कई रूप, धूप-छांव,सुख-दुःख यह एहसास कराती है।
यह वर्षा.. क्या-क्या रूप दिखाती है, यह वर्षा कभी हँसाती तो कभी रुलाती है।