श्रावण - हरियाली तीज
भक्ति और मस्ती की बहार लेकर आया सावन।
त्रिपुरारि की भक्ति में मन कर लें अपना पावन।।
ग्रीष्म ऋतु में तपी भूमि को शीतल करने आया।
पार्वती को देने शिव ज्यों तप का फल मनभावन।
दिखे धरा पर चहुँ ओर ही नव पल्लवित हरियाली।
आसमाँ से पर्वत तक छाये बादल घटा निराली काली।
बाबा ने डलवाया झूला बाग में आम की लम्बी डाली।
श्रावण के त्योहार मनाने आओ तुम मिलकर आली।
हरियाली तीज पर आज हम सब पहनें हरी चुनरिया।
दूर देश में भैया मेरा बुलाएं उन्हें गाकर ये कजरिया।
भैया की राखी लेकर आजाओ बेटी को बुलाये मैया।
जल्दी से झूला झूलन को लाओ संग सहेलियाँ बिटिया।
मेहंदी लगे हाथों पर हरी चूडियों से सजाओ कलाईयाँ।
हलवा पूरी घेवर खाओ और खाओ पूए खीर सिमईयाँ।
माँ की गोद, पिता के दिल को दे जाओ थोड़ी खुशियाँ।
हर्षित कर दो भाभी का मन और भाईयों की कलाईयाँ।