जीवन
मेरे कम्पित अधरों की भाषा,
जो नयन तुम्हारे कुछ पढ़ लेते।
दिल की धड़कन के हर सुर से,
हम संगीत नया एक गढ़ लेते।
मेरे मन के शब्दों को लेकर,
एक नयी कविता में जड़ लेते।
एक-दूजे के मन की वे बातें,
बिन कहे ही जो हम कर लेते।
निश्चित ही फिर इस दुनिया में,
घर स्वयं का निर्मित कर लेते।
अपने बच्चों की बातें सुनकर,
कभी खुश होते कभी हँस देते।
है जीवन डगर कठिन फिर भी,
हम निज सफ़र सुहाना कर लेते।