करवा चौथ
दुनिया मनाने लगी अब वेलेंटाइन प्यार का त्योहार।
हमारे देश मनाता सदियों से प्यार का एक त्योहार।।
नाम है जिसका अति पवित्र तथा पावन करवा चौथ।
विवाह के बाद हर नारी यहां मनाना चाहे यह चौथ।।
पति-प्रेम में पगली प्रिया भूख-प्यास सब जाये भूल।
पूजा करे पति की,माँग में सजा ले चरणों की धूल।।
पूजा-अर्चना कर चंद्रमा से प्रार्थना करे चढ़ा श्रद्धाफूल।
रखती हर बात का ध्यान वह,हो जाए ना कोई भूल।।
पहले से ही करे तैयारी वह,कपड़े,जेवर मेंहदी लाकर।
सास-ससुर जी के लिये भी वह लाये वस्त्र एवं उपहार।
सूर्योदय से पहले उठ पूजा कर,रखती दिन भर उपवास।
मेंहदी लगी हाथों पर फिर भी बनाये वह पकवान खास।।
वर्ष में इस एक दिन तो फिर से वह करे दुल्हन श्रृंगार।
नख से शिख तक करे जतन से वह पूरे सोलह श्रंगार।
नयी पायल,बिछीये और चूडियां पहन चलती वह इस प्रकार।
घर में चहुँ ओर बाजे,उसके बिछीये-पायल की झंकार।।
काजल लगाके तीखे नैनों से ही पति स नज़र उतरवाए।
लिपस्टिक,लाली,बिंदिया लगा, सिंदूर से माँग सजाये।
अपने बालों को महका कर सुन्दर केश-सज्जा बनाये।
मेंहदी लगे हुए पैरों को आलते-महावर से खूब सजाये।
लाल चूडियां खन-खन करती,पहने साड़ी सुन्दर लाल।
लाल बिंदी, लाल लिपस्टिक, बालों में है चुटीला लाल।।
पड़े पति की प्रेमनज़र जब,शर्म से हो जाए चेहरा लाल।
मम्मी को देखें सजी-धजी तो खुश होते हैं बाल-गोपाल।।
सजधज कर फिर सभी विवाहिताएं पूजा-थाल सजाएँ।
गौरी गणेश को पूज-मना कर पति की दीर्घायु वे माँगें।
करवा माता की पूजा करके चंद्रोदय की राह सब तकें।
चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य देकर करें वे मंगलकामनाएँ।।
सास ससुर के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद वह लेती है।
जीवन साथी प्यारा मिला जिनसे,उन्हें उपहार देती है।।
प्यारे अपने प्रियतम के हाथ से उपवास तुड़वा लेती है।
खुश रहें साथ में दोनों सदा,सबसे यही दुआएँ लेती है।।
आजकल तो पति भी, पत्नी का देते हैं पूरा-पूरा साथ।
करवा चौथ पर दोनों ही, इसका व्रत करते साथ साथ।।
हँसी-ख़ुशी बीते जीवन, दोनों का छूटे नहीं कभी साथ।
हर साल मनाते रहें वे, करवा चौथ त्योहार साथ साथ।।