बंसी बजाते श्याम
आओ सखी हम सब, चलें जमुना तीरे।
घन श्याम जहां बंसी, बजायें धीरे-धीरे।
बंसी की धुन पर, यमुना थिरकती।
डालियाँ कदंब की, झुकें धीरे-धीरे।
आओ सखी हम सब, चलें जमुना तीरे।
चली आई राधा, कान्हा से मिलने।
गोपियाँ भी छुपके, चलीं धीरे धीरे।
आओ सखी हम सब, चलें जमुना तीरे।
दधि बेचन को निकलीं, घर से गोपियाँ।
वहीं मटकी फोड़ेते,श्याम रोज धीरे-धीरे।
आओ सखी हम सब, चलें जमुना तीरे।
माखन चुराये श्याम, और दिल भी चुरायें।
दिल में समा गए, चैन चुरा के धीरे-धीरे।
आओ सखी हम सब, चलें जमुना तीरे।
मथुरा गए श्याम, बृज को छोड़ कर।
ग्वाले गोपियां रोएं, नंद बाबा रोएं धीरे धीरे।
आओ सखि हम सब, चलें जमुना तीरे।
राधे रानी को श्याम, अब न सताओ।
नीर बहाते हैं यहां, सब नैना धीरे-धीरे।
आओ सखी हम सब, चले यमुना तीरे।
श्याम जहाँ बंसी, बजाते थे धीरे-धीरे।
*उषा