लोक तंत्र
गुलामी से भारत स्वतंत्र हुआ, खुश थे बहुत हम सब।
नहीं होगा विदेशियों का शासन, आजाद हुए हम अब।
अब न होगा अंकुश, करेंगे अपने-अपने मन की सब।
मनमानी सब की होगी तो फिर राज्य चलेगा कैसे तब?
आजाद भारत में होगा फिर यहाँ अब अपना ही शासन।
जन जन के लिए जनता का ही, जनता के द्वारा शासन।
देश चलेगा सुचारु रूप से, इसके बने नियम संविधान।
दलितों एवं गरीबों के हित में भी बने कुछ नये विधान।।
प्रत्येक व्यक्ति को मिला तब, यूँ कुछ न कुछ अधिकार।
कर्तव्यों का पालन करना भूले, जब पाये ऐसे अधिकार।
तानाशाही मिटी थी परंतु शनैः-शनैः लोक शाही आई।
जनता के सेवक बन आये थे किन्तु राह नहीं दिखलाई।
कालान्तर में परिस्थितियां बदलीं किन्तु नियम न बदले।
संविधान की दुहाई दे कर, भोली जनता लूटने ये निकले।
जनता भी अब हुई जागृत, लोक तंत्र को समझ गयी थी।
धीरे-धीरे निज अधिकारों के समुचित उपयोग में लगी थी।
लोक तंत्र की शक्ति को कभी भी लोगो कम नहीं आँकना।
यह है ऐसी ताकत जो अच्छे-अच्छों को सिखाती नाचना।
हमें गर्व है हम जन्मे हैं महान भारत भूमि पर लोकतंत्र में।
रक्षा की खातिर इसकी जीते-मरते,न रहना अब परतंत्र में।