विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
दुनिया मनाये मेंटल हेल्थ डे,
हम सोचें क्या आवश्यकता है,
क्या यह कोई त्योहार है?
हम तो हर दिन ही रखते हैं,
ध्यान मन का सब के।
रात तक सुबह से,
किस को क्या चाहिए।
भगवान को कपड़े किस रंग के,
नैवेद्य हलवा या केले।
नाश्ते में हलवा-पूरी, पकौड़े,
या फिर भरवां परांठे।
दही, छाछ,लस्सी या जूस लेंगे,
या फिर चाय के साथ ही खायेंगे।
बड़ों के लिए दलिया,
बच्चों को कुछ नया चाहिए।
भोजन में बच्चों को भिंडी,
तो उन्हें भरवां करेले चाहिए।
दाल-चावल, फुल्के,अचार,
साथ में खट्टा और मीठा रायते।
बहुत हैवी होने पर डिनर हल्का,
डोसा, पिज़ा बर्गर या बस पास्ते।
फ़िर मन सोचता है,
वीकएण्ड पर घूमने कहाँ जाएं?
मम्मी को मन्दिर बच्चों को पार्क,
अपना तो मन करता है सो जाएं।
हाँ दिवाली की करनी खरीदारी है,
रिश्तेदारों को क्या तोहफ़े दिये जाएं?
सोचते सोचते मन हुआ परेशान,
क्या कुछ वस्तु या फिर कपड़े लाएं।
सब मिठाइयाँ बाजार से खरीदें।
नहीं,कोरोना में घर पर ही सब बनाएँ।
घर में साफ़ सफाई भी करनी है,
डॉक्टर का ऑर्डर है, बाई न बुलाएं।
कहीं भी जाएं या न जाएं,
कुछ भी स्वयं करें या करवाएं
अच्छा है सबका ध्यान रखना,
किन्तु इसमें स्वयं कहीं खो न जाएं।
कैसी भी हो परिस्थिति,
अपनी मनस्तिथि स्वस्थ रख पाएँ।
यूँ तो ग़म हैं बहुत दुनिया में,
न सोच सोच कर आप घबराएं।
भरोसा रखें, उस ईश्वर पर
उन्हें छोड़ कर सदा ही मुस्कराएँ।
सब के साथ अपना भी ध्यान रख,
हँसी खुशी मिलजुल कर त्यौहार मनाएँ।