नन्हीं कली
एक प्यारी नन्ही कली।
हमारे घर में आ खिली॥
मुस्करा के देखा उसने।
सच हुए तब सारे सपने॥
प्रभु की है कृपा दृष्टि।
हुई है जो मंगल वृष्टि।
लगे न किसी की दृष्टि।
अनुपम है उसकी सृष्टि॥
सदा ही यह यूं मुस्कराए।
सबसे यही शुभाशीष पाए।
नित नए कर्म किए जाए।
शुभ कर्म कर बढ़ती जाये॥