नशा
प्रतियोगिता का थीम,एडमिनजी ने दिया जब नशा।
थीम को देखते ही सब कवियों पर छाने लगा नशा।।
कलम लड़खड़ाई,कंपकंपा कर लिखने लगे वे नशा।
विचारों की उठी आँधियाँ,शब्दों को आने लगा नशा।
जैसे तैसे पूरी लिख कर,पोस्ट सबने कर दी कविता।
लाइक एवं कमेंट्स आने पर, फिर छाने लगा नशा।।
दाद जिन्हें न मिली,उन कवियों का दिल डरने लगा।
डिप्रेशन न हो जाए कहीं उन्हें, वे करने लगे नशा।।
पढ़ने वालों को भी,कविता पढ़ कर आने लगा मजा।
लाइक और कमेंट्स का खूब, फिर दौर चलने लगा।।
मुश्किल बढ़ गयी एडमिन की,जब कमेंट्स भी झूमे।
एक की पोस्ट से दूसरे की पर,कूदने-नाचने जब लगे।
इतने तक तो गनीमत थी, पर गज़ब फिर होने लगा।
पढ़ने वालों की आँखों से,शब्दों में उतरने लगा नशा।।
शब्दों के नशे से अक्षरों पर भी हुआ कुछ असर ऐसा।
पट का टप, करो का रोक, और शान का हुआ नशा।।