प्रार्थना
जीवन में हम को सुख-दुःख दोनों ही मिलेंगे।
दुःखों को हम कम पर सुखों को खूब गिनेंगे।
मालिक का करें शुक्र कि उसने खूब दिया है।
बदले में कभी भी उसने, कुछ भी न लिया है।
दुःखों एवं तकलीफों की हम करते शिकायतें।
नहीं देखते हैं उसने जो की हैं हम पर नियामतें।
शुकराने की कभी हमें याद ही नहीं है आती।
उम्र सारी माँगों और फरियादों में गुजर जाती।
दुःख और विषाद की अब तो है अति हो गयी।
क्षमा कर दीजिये हमें जो गलती हमसे हो गयी।
ईश्वर अब दुःख बहुत हम सबने झेल ही लिये।
अब तो हमारी झोली में खुशियाँ डाल दीजिये।