प्यार का माह-फरवरी
ये मौसम का जादू है या प्यार का खुमार।
पतझड़ जाने को है आ रही है अब बहार।
गुलाबी ठण्ड है अब नहीं शीतल है बयार,
कर में गुलाब लिये देने को प्रियतम बेकरार।
सब युवा भी मन में उत्साह व गर्व से तैयार,
अपने वेलेंटाइन संग मनाने को यह त्योहार।
सभी युगल मन में लिये नयी उमंग व प्यार,
करते हैं आशा मिलने की जो गये उस पार।
वातावरण में है चहुँ ओर मिठास और बहार,
हर दिल में दिखता है एक नया ही ऐतबार।
प्रकृति सुहानी छटा दिखाती हमें बारम्बार,
लाल पलाश के उच्च वृक्ष भू पर वंदनवार।
प्रकृति पृथ्वी को पहनाये पुष्पों के ज्यों हार,
सभी मनाते वसंत पंचमी का पावन त्योहार।
देवी सरस्वतीजी पूजन व करते नमस्कार,
तभी पट्टी-पूजा कर लिखा था प्रथम बार।
फरवरी शुरू होते ही प्रकृति करती शृंगार,
इसी माह में मैं भी बनी दुल्हन पहली बार।
तब से सोलह को मैं भी करती सोलह शृंगार,
दिल में छुपा मधुर प्यार का एक बड़ा भंडार।
इसी मास में आ जाती है फाल्गुन की बहार,
जिसके विचार से ही दिल में होती है झंकार।
वर्ष का होता है यह सबसे छोटा माह-प्यार,
किंतु इसमें भरी हुई हैं ये खुशियाँ अपरम्पार।