समझ
जब इच्छा अन्तर्भावों को मथती है।
तब दिल से अच्छी कविता गढ़ती है।
जब खूब चिंतन-मनन हम करते हैं।
दुनिया को बेहतर समझने लगते हैं।
कोई हमको ही बस समझे आकर,
क्यों इच्छा हम सब ही यह रखते हैं?
क्यों कभी अहम को भूल तनिक,
उन्हें समझने की कोशिश करते हैं?
जब सुनने की लालसा रखें हम,
हर रिश्ते को यूँ ही समझ सकते हैं।
थोड़ा सुनकर और थोड़ा सहकर,
सब सम्बंधों को महका सकते हैं।