समबंध
जब अर्थ मिले कुछ शब्दों में,
तब भाव मिलें उन्हें छंदों में।
जब प्रेम भाव की भाषा हो,
आत्मीयता मिले संबंधों में।
जाने क्या क्या अर्थ मिले,
जब मिलें वे छंदों और बंधों में।
कविता पूरी हो जाती है,
जब सार्थकता हो सब छंदों में।
जीवन बगिया खिल जाती है,
मधुरता रहे जब सब संबन्धों में।