सवाल
जिधर जाते हैं एक सवाल दिखता है।
सूनी आँखों में एक सवाल दिखता है।।
क्यों कहलाती हैं नारियां ही पीड़िता,
जब कभी उन पर एक बवाल दिखता है?
जब करते हैं बलात्कारी हमला उस पर,
सूनी आंखों में उसकी एक सवाल दिखता है।
क्या गलती थी मेरी, कि मैं अकेली थी
या कमज़ोर थी बस यही सवाल दिखता है।
क्यों नहीं मिलती सज़ा उम्र भर की ऐसी,
न कर पाये फिर ऐसा यही सवाल दिखता है।
अब उसे हर शख्स इज्जत का टोकरा उठाये,
जब चाहे उतार दे, ऐसा एक हमाल दिखता है।
हालात ऐसे हैं कि अब तो हर सफेदपोश भी,
शक के कटघरे में खड़ा एक सवाल दिखता है।
औरत तू होगी देवी कभी पर अब तो घर में भी,
हर शख्स कहता, ‘तेरी क्या मज़ाल’ दिखता है।
ल़डकियों का पूरा परिवार ही भोगता है दर्द,
लड़के के परिवार पर नहीं सवाल दिखता है।
क्यों नहीं रोक पाते हम समाज में ये विकीर्णता,
मेरे दिमाग में बस यही एक सवाल दिखता है?
क्या माताएँ नहीं दे रहीं बेटों को सही शिक्षा और
पिता औरत की इज्जत करने की यही सवाल दिखता है।