सीमा
सीमा सबकी होती है, इसके बिन सब स्वच्छन्द।
सीमा में रहकर करें तो आये सब काम में आनन्द।
समय की सीमा में बंधे, यहाँ दोनों दिन और रैन।
सूर्य अस्त होने पर ही, रात को सबको आये चैन।।
सीमा और मर्यादा से ही, बंधी हुई रिश्तों की डोर।
सीमा यदि कोई तोड़ दे, तो होती है यह कमज़ोर।।
माँ बाप का प्यार होता है अच्छा एक सीमा में ही।
वर्ना बच्चों को भुगतना पड़ता, उनके जीवन में भी।।
मर्यादा में बहती सरितायें, धरती पर पूजी जाती हैं।
तट बाँध तोड़ कर बढ़ती हैं, तो तबाही दे जाती हैं।।
विद्यालय में भी बच्चे रहें,अनुशासित मर्यादा में ही।
लक्ष्मण रेखा जो पार करे, तो दुःख पाती सीता भी।।
विश्व में भी रहते हैं सब देश,आनंदित निज सीमा में।
युद्ध शुरू हो जाते हैं जब वे रहते नहीं निज सीमा में।।
राष्ट्र सुरक्षा की खातिर ही, सैनिक सीमा पर तैनात।
देश प्रेम के लिए ही छोड़, रिश्ते, घर और हर बात।।