शब्द शक्ति
शब्द ही हैं जो हमारी सबसे पहचान कराते हैं,
शिशुओं को भी शब्दों द्वारा चित्रों से मिलाते हैं।
सोचती हूँ कि कितनी खामोश होती ये दुनिया,
यदि अक्षरों ने जुड़कर शब्द न होता बना दिया।
ये शब्द ही हैं जो सिखाते जुड़ना व जोड़ना हमें,
पर सीखना हमें ही है उचित प्रयोग करना उन्हें।
सुन्दर अक्षरों शब्दों से सीख जाते हम भाषाएँ
छन्द-बद्ध व अलंकृत कर उन्हें बनती कविताएँ।
सुन्दर सार्थक सुवर्ण ले तुलसी ने मानस रचना की,
प्यारे मीठे शब्दों से बनी माँ की लोरी एवं गुरुबानी।
हमारे शब्दों से ही हम प्यारे सबके बन जाते हैं,
शब्दों से ही कभी-कभी महाभारत हो जाते हैं।
शब्दों के ही जोश और रोष ने क्रांति यहाँ थी की,
कर समाज को जागृत देश को आज़ादी दिला दी।
शब्दों के प्रहार तलवार से भी तेज़ होते हैं कभी,
तो कहीं शब्द मरहम बनते और अमृत भी कभी।
इनकी शक्ति निहित है इनके ही अर्थ में सर्वदा,
अनर्थ न हो ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचना सदा।
शीतल शालीन शक्तिशाली शब्दों को शस्त्र बना,
अपने हर कार्य में विजय प्राप्त तुम सदा ही करना।