शिक्षा का महत्व
श्री चित्रगुप्तजी सदा कहें , लेकर लेखनी हस्त।
पूजो देवी सरस्वतीजी, तो सदा रहे वरद-हस्त।।
शिक्षा अति आवश्यक है, क्या करें इसकी बढ़ाई।
श्री कृष्ण व श्री राम ने भी, गुरुकुल में विद्या पाई।।\
वैज्ञानिक सिद्धांतों पर, थीं सब शिक्षा नीतियाँ।
खोजें हम प्राचीन वे, विलुप्त हुईं जो पद्धतियाँ ।।
बच्चो शिक्षा लेना जरूर, बिन शिक्षा सब सून ।
इसके बिना न मिल सके, दाल,शाक और चून।।
शिक्षा बिन परिवार का, उठ न सके स्तर आज।
विद्यालय जाकर मिलें,नए-नए जीने के अंदाज।।
जब कन्या पढ़ती खूब, तब आगे बढ़े परिवार।
पढ़ लिख कर बच्चे बनें, नागरिक जिम्मेदार।।
उच्च शिक्षा प्राप्त कर,तुम करो माँ-बाप का नाम।
घर का ही नहीं,तब शहर एवं देश का भी हो नाम।।
समाज की समस्या हो या,करना हो अनुसन्धान।
शिक्षा के अभाव में, कभी मिल न सके निदान।।
अशिक्षित को मिलता नहीं,कहीं ढंग का रोज़गार।
और चाहे तो भी नहीं, कर सके सफल कारोबार।।
शिक्षा के बिन रह जाओगे, तुम अनपढ़ और मूढ़।
समझ सको तो समझ लो,यह सिद्धांत अति गूढ़।।
गूगल,इन्टरनेट पर उपलब्ध,आजकल है सब ज्ञान।
ज्ञान की सही उपयोगिता पर,गुरू देते व्याख्यान।।
मात-पिता से आशीष लेकर, गुरू से लीजिए ज्ञान।
जीवन पथ पर अग्रसर हों, सदा मिले तुम्हें सम्मान।।
गुरू ब्रह्मा, गुरू ही विष्णु, गुरू ही महेश भगवान।
गुरू से ही सब सीखिए, ज्ञान-संस्कार की वे खान।।
शत प्रतिशत साक्षर बनें, यहाँ अनपढ़ रहे न कोय। ऽ निश्चित रूप से भारत देश ही, विश्व गुरू तब होय।।