श्रावण आया
सावन का महीना आया, संग में है खुशियाँ यह लाया।
माँ बाप व सखियों से भी मिलने का सपना यह लाया।
मायके जाने का जोश मन में आया रे।
शादी के बाद तो बहिना यही महीना तो हम हैं मिलते।
माता पिता हमें बुलाते, खूब हमारे वो नाज़ हैं उठाते।
जल्दी आजाओ बेटी भेजा है भैया रे।
हरियाली तीज पर माँ ने हरी चुनरी व चूड़ा दिलवाया।
पापा तो लाए हैं तोहफ़े और बाबा ने झूला डलवाया।
मिठाई तो खूब सारी लाया मेरा भाई रे।
सखियों को न्योता दिया झूले पर आकर जल्दी मिललो।
आकर झूले की पींगें बढ़ायें, हिलमिल के मल्हार गायलो।
सारे दुःख दर्द भूल खुशियाँ मनाओ रे।
सावन जो बीत जाए फिर कहाँ मिलना-जुलना हो पाए।
बच्चे जो हो जाएं बड़े तब तो आना-जाना नहीं हो पाए।
झूले पर मिलना-गाना छूट ही जाये रे।
अब तो फोन हमारा सहारा, लगता है वह सबसे प्यारा।
फोन पर चैट और वीडियो से, मिलना हो जाएगा हमारा।
मीलों की दूरी जैसे मिट ही गयी रे।