आजाओ श्री राम
अ ब तो आजाओ श्री राम भक्त जन तुम्हें बुलाते हैं।
यो ग्य हैं या कि नहीं हम पात्र तुम्हारी बाट जुहाते हैं।
ध्या न में हर पल तुम ही रहते सदा ही तुम्हें बुलाते हैं।
वा स्तव में जब तुम यहाँ थे सिर्फ कल्पना कर पाते हैं।
सी ता माता को ब्याह लाये यह मंदिर में दर्शन पाते हैं।
बु लाया कैकयी माता ने, पिता की आज्ञा सुनाने को।
ला ज नहीं आयी जब बोलीं आपको वन में जाने को।
ते रे-मेरे के चक्कर में भूलीं,माता राम अपने प्यारे को।
हैं भाग्य लेख के सब चक्र,खोया पति अपने प्यारे को।
अ ब पछताती हाथ मलकर,हाय! क्यों बोला जाने को।
ब स सुमित्रा माता धन्य हुईं,लखन को साथ भेजा जो।
उ र्मिला थी तप की देवी,चौदह वर्ष अलगाव सहा जो।
सी ता चलीं राम लक्ष्मण के संग,वन को मिला था जो।
अ योध्या में समय कैसा,भरत-मांडवी ने जिया था जो।
यो गी वनवासी बन गये थे,जब पाया राज्य राम का वो।
ध्या न में बेटे के, कौशल्या माता की आँखें पथराई थीं।
मैं हूँ अल्पज्ञ नहीं हैं शब्द,कैसे सिया वन में रह पाई थीं।
श्री राम ने रावण से युद्ध कर कैसे वापस सीता लाई थीं।
रा त दिन जपती राम-नाम क्यों कलंकित वे कहलाई थीं।
म हान सीतामैया हैं जो पावन पावक से निकल आई थीं।