थोड़ा हँस भी लीजिए
हर तरफ निराशा- हताशा, देखकर न परेशान हों।
आसमान में पंछियों को, उड़ते देख जरा खुश हों।।
गमले में खिले फूलों से, थोड़ी हँसी ले लीजिए।
इतना भी ग़मगीन नहीं जीवन, थोड़ा हँस लीजिए।।
यूँ तो आशा की करते बातें, सदा यहाँ सब लोग।
फ़िर भी आशंकित से और भयभीत हैं हम लोग।।
कोई समस्या हो जीवन में, या फ़िर हो महा रोग।
विश्वास है प्रभु कर देंगे, हम सबको सुखी निरोग।।
हे ईश्वर करो स्वस्थ, चिन्तामुक्त तथा निर्भय हमें।
हम कभी जीवन में फिर, ऐसे अमानुष नहीं बनें।।
न करें कुछ कृत्य ऐसा, कि कुछ सृष्टि का हो ह्रास।
हम सब लोगों के बीच बढ़े, प्रेम और हर्षोल्लास।।