तुम्हारे लिए
ऐ मेरे जीवन साथी मेरा सब कुछ है तुम्हारे लिए।
इतना प्यार मिला है तुमसे कुछ भी मैं करुँ है कम।
तुमसे ही मेरा दिन रोशन एवं तुमसे रात है जगमग।
सदा तुम पर मरने-जीने का भरती फिरती हूँ मैं दम।
मेरे लबों पर आने से पहले करते पूरी हर इच्छा तुम।
मेरी एक मुस्कान की खातिर करते कितना दमखम।।
मैं तो करती हूँ एक दिवस बस,सब कुछ तुम्हारे लिये।
यद्यपि तुम तो हो हर दिन,मेरे प्यारे पूजनीय प्रियतम।।
सदा करती उत्सुक हो कर प्रतीक्षा इस त्योहार की मैं।
पावन पर्व ‘करवाचौथ’मनाने की करती तैयारी पूरी मैं।
मेंहदी की सुन्दर डिजाइन से हाथों-पैरों को सजाती मैं।
तुम हो मेरे दीपक जैसे और सजधज कर बनूँ बाती मैं।।
तुम्हारे जीवन की मंगलकामनाओं की प्रार्थना करती मैं।
प्रातःउठ कर पूजा करती,पूर्ण दिवस उपवास करती मैं।।
तुम्हारे लिये ही इस एकदिन,पूरे सोलह शृंगार हूँ करती मैं।
तुम्हें उठाने लाल काँच की पहन चूडियां खनखन करती मैं।।
है साथ हमारा अटूट यह विश्वास जगाती माथे की बिंदिया।
रहे सात जन्मों तक साथ यूँ ही कहती है ये माँग सिंदूरिया।
नयनन में अंजन काला डाला, है उतारने तुम्हारी नजरिया।
लरजते लबों की लाली मेरी बढ़ जाती पहनूँ जब नथनिया।
सुन्दर साड़ी लाल पहन कर,फिर से से दुल्हन मैं बन जाऊँ।
मंगल-सूत्र,हार व हँसली डाल गले,मैं लंबे झुमके पहन आऊँ।
केशों को महका के सँवार फिर लाल चुटीला गूंथ मैं लहराऊँ।
तुम्हारे गौरव को दर्शाता माथे का टीका बोले,बोल न मैं पाऊँ।
सज संवर के शाम को पूजा की थाली सजा, गौरी बनाऊँ।
तुम्हारे लिए ही यह कथा, पूजा करवामाता की कर जाऊँ।।
है तुम्हारा ही प्यार और अटूट विश्वास कि व्रत मैं कर पाऊँ।
चंद्रोदय पर अर्घ्य चढ़ा के वर मांगूं, हर जन्म तुम्हें वर पाऊँ।
मेरी हर सुबह प्यारी, तुम्हारे साथ ही होती रहे यूँ ही सदा।
हे चंद्रमा और करवा चौथ मातजी रखना वरद हस्त सदा।।
हम पर भगवान की कृपा रहे, कभी आये न कोई आपदा।
मिले बुजुर्गों का आशीष,एक दूजे के साथ जिएं हम सदा।।