उड़ान
मैं थी, मैं हूँ, कब तक रहूँगी, कह नहीं सकती l
दिल है उड़ कर आसमाँ छू लूँ, पर छू नहीं सकती ll
बिन पंखों के ही, विचारों की उड़ान यूँ भर लूँ l
इस जीवन के सब अधूरे स्वप्न पूरे, अभी कर लूँ ll
समझने में ज़िन्दगी को , उम्र तो कट गयी आधी l
समझ आने लगी अब, तो ये शेष है नहीं आधी ll
फिर भी मन है करता, पूरे करूँ जो काम हैं बाकी l
लगा दूँ बस समाज सेवा में जो ये उम्र है बाकी ll
बहुत सोचा करूँ क्या, जो हित में हो यहाँ सबके l
पढ़ाऊं शिक्षिका बनके और जीत लूँ मैं दिल सबके l
या किसी भूखे को दे रोटी, क्षुधा को तृप्त मैं कर दूँ l
किसी प्यासे को पिलाकर नीर संतृप्त मैं कर दूँ ll
नहीं चाहूँ किसी को दान दे कर, महान कहलाना l
नहीं चाहूँ किसी की आँख में आँसू को ले आना ll
न हो मेरे शब्दों से घायल,कोई यहाँ पर कभी ll
तमन्ना है कि मेरी वाणी से पोंछ लूँ आँसू सभी ll
कभी बन जाऊं विदूषक जो, हँसाऊं जगत को सारे l
कभी उड़कर आसमाँ से, तोड़ लाऊं मैं कुछ तारे ll
बदल सकूँ ज़िन्दगी जो एक भी मानव की मैं यारो l
तो रहूँ मरकर भी ज़िन्दा मैं , जहाँ में ऐ मेरे प्यारो ll