वायु
प्राण वायु फूँकी, माटी के पुतले में रब ने।
तो दुनिया में इंसान लगे बनने।
ईश्वर की तरह यह भी दिखाई नहीं देती है ।
रखकर जिंदा हमें अपने होने का प्रमाण देती है।।
वायु जो है तो अदृश्य किन्तु है अति आवश्यक।
हर प्राणी लेता जन्म से मृत्यु तक निरंतर अथक।
अपनी जैव क्रियाओं के लिए है परम आवश्यक।
प्राण वायु लेना व साँस छोड़ना चलता अनवरत।।
वायु यदि बालक को पूछें तो