वीर
उठो हिन्द के सिपाही, भारत माँ के वीर लाल।
मिलती नहीं आज़ादी, बिना खडग बिना ढाल।।
डरते नहीं वे दुश्मन, जो उठती न वो तलवार।
रानी झाँसी की वह, ज़रा याद करो ललकार।।
कितने ही वीर-वीरांगनायें, युद्ध में थे कूद पड़े।
दुश्मन को मार गिराने को,थे सब मैदान में अड़े।।
तुमको पुकारता है, बहा शहीदों का खून लाल।
उठो हिन्द….
भगतसिंह,चंद्रशेखर,राजगुरु सुखदेव के हे वंशज।
तुमको शपथ है उनकी, बलि चढ़ गए जो अग्रज।।
स्मरण रहे सुभाषचंद्रबोस की आजाद हिन्द फ़ौज।
पहले सुरक्षित मातृभूमि हो,फ़िर कर लेना तुम मौज।।
हम सबके आदर्श रहेंगे, सदा वीर लाल- बाल - पाल।
उठो हिन्द….
करगिल और पुलवामा के, शहीदों की रखना आन।
सीमा पर जो अपनी करें वार, ले लेना उनकी जान।।
रक्त में तुम्हारे उठने लगे उबाल, दुश्मन को वहाँ देख।
यह सीख है भारतभूमि की, हर माँ की रखो सहेज।
दुश्मन को खदेड़ना ऐसे,कि ख़ुद का न हो बांका बाल।\
उठो हिन्द….
लाखों वीरों ने दी शहादत, तब आजादी यह थी पाई।
अब इसकी सुरक्षा को लड़ो,है बारी तुम सबकी आई।।
न लालच में तुम पड़ना कभी, विदेशी व्यापारियों के।
भाई नहीं हो सकता शत्रु,न ही काबिल कभी वे प्यार के।।
इनको रखकर दूर ही सदा, तुम भारतभूमि लो सम्भाल।
उठो हिन्द….
ठण्डा न पड़ने पाए कभी भी जोश यह तुम्हारा।
भारत को तुम हो प्यारे, यह भारतवर्ष है तुम्हारा।।
कुर्बानी से डरो नहीं, तुम्हारे शत्रु आतंकित करो ।
युद्ध जो भी तुम लड़ना, जीत कर ही आते रहो ।।
देश और विदेश में भी, तुम बनो शौर्य की मिसाल।
उठो हिन्द….
भावी पीढ़ियां भी गाएंगी, शौर्य के तुम्हारे गीत।
बहादुरी से लड़ना, दुश्मन से लेना यूँ ही जीत।।
न सोचना तुम घर की,जब देनी पड़ जाए जान।
जनता और सरकार सदैव, रखेगी उनका ध्यान।।
घर वालों को गर्व हो तुम पर, न हो कभी मलाल।
उठो हिन्द…
मिलती नहीं आज़ादी, बिना खडग बिना ढाल।
उठो हिन्द के सिपाही, भारत माँ के वीर लाल।।